कविता- वेदना

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जीभ उसकी कटी और गूंगा सारा जहां हो गया
जिस्म उसका तार तार हुआ निर्वस्त्र सारा जहां हो गया
रीड की हड्डी उसकी टूटी और अपाहिज सारा जहां हो गया
इस मन की महाभारत का संजय कोई नहीं था यहां
और धृतराष्ट्र सारा जहां हो गया

रात के अंधेरे में मोन हो गई उसकी मूक चीखें
और बेजुबान सारा जहां हो गया
हुक्मरानों की नारी राजनीति ऐसी कि सियासत की
फन का कायल सारा जहां हो गया
रात के अंधेरों में सियासत का पर्दा फास हो गया

वह प्रियंका रेडी थी या निर्भया थी, या थी वह मोबिता देबनाथ
वह नारी थी और यही भूल भारी थी,
यह उसका जिस्म था या दरिंदों की बपौती
यही उसके मन और तन की शूल सारी थी

जहां जिंदगियों का मोल शोहरत की तुलना से तोला जाता हो
वहां अक्षर आम जिंदगियां इंसाफ के पलड़े में हल्की रह जाती है

थी वह डॉक्टर हर किसी की सेवा को आतुर
छतीसों घंटे किया करती थी वह मानव सेवा
पर वहसी दरिंदों की दहशत का इलाज सीख नहीं पाई थी वो
थे जख्म अनगिनत हजार उसके बदन पे
एक अट्ठाहस सा उस सुबह हर सू था,
राख और जिस्म दोनों ठंडे पड़े थे पर सियासत गर्म थी

#उमा व्यास

(पुलिस उप निरीक्षक, कोटा, राजस्थान)
कार्यकर्त्ता, श्री कल्पतरु संस्थान

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।