हिमांशु वर्मा हिम की कविता- हम

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एक वीरान से पथ के जैसे हैं हम,
एक टूटी हुई नथ के जैसे हैं हम,
प्रेम के घाट तक लेकर आता था जो,
उस रथी से रहित रथ के जैसे हैं हम।

एक उजड़े हुए बाग़ जैसे हैं हम,
चाँद पर उस लगे दाग़ जैसे हैं हम,
हाशिए पर रहे उम्रभर दुनिया में,
उस बहुत बेसुरे राग जैसे हैं हम।

चॉंद, सूरज रहित जग के जैसे हैं हम,
चोट खाए हुए मृग के जैसे हैं हम,
इक तमाशा हुए लोगों की नज़रों में,
क़ैद में इक फॅंसे खग के जैसे हैं हम।

हिमांशु वर्मा (हिम)

इंदौर, मध्यप्रदेश

परिचय-

नाम:- हिमांशु वर्मा

जन्म दिनांक:- 14 अगस्त, 1995

शिक्षा:- एम. ए. हिंदी साहित्य, वर्तमान में पीएचडी रिसर्च स्कॉलर

मूल निवासी:- शिक्षक कॉलोनी, मनावर जिला धार, मप्र
वर्तमान निवास:- 52बी राजेन्द्र नगर, इंदौर (मध्यप्रदेश)

उपलब्धियाँ :-
1) देशभर के विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर लेख एवं कविताओं का प्रकाशन।
2) HBtv Yuva राज्य स्तरीय टीवी न्यूज़ चैनल पर काव्यपाठ एवं साक्षात्कार प्रसारित।
3) मातृभाषा उन्नयन संस्थान और वंशीवट के बैनर तले आयोजित कवि सम्मेलन आवाज़-ए-मालवा 1 एवं 2, इंदौर पोएट्री फेस्टिवल के आयोजन में प्रमुख दायित्व, लिट् चौक में काव्य पाठ और क्षेत्रीय कवि सम्मेलन तथा काव्य-गोष्ठियों में काव्यपाठ।

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