नारी की शिक्षा। नारी नै ना समझो नादान यही सै भविष्य की पहचान यही सै उज्जवल भविष्य की शान यही सै देश की शान, बान, आन। नारी का बढ़ रहा सै सम्मान समाज में खुद की बना रही है पहचान इनके साथ होता रहा घोर अपराध शिक्षा से ही बनेगा […]

बाल एक जीवित पदार्थ है जो स्तनधारियों के शरीर पर ही पाया जाता है। यह त्वचा की बाहरी सतह से निकलने वाली एक रेशेदार संरचना है। मुड़ पैरों वाले कीड़ों में भी ऐसी संरचनाएं होती हैं जो शरीर से बाहर निकलती हैं, लेकिन उन्हें बाल नहीं कहा जाता है क्योंकि […]

इसको लिखने के लिए मुझे डाक्टर शाहिद परवेज की किताब का अध्ययन किया। जिससे मैं इस को लिखने में कामयाबी हासिल कर चुका हूं।पूरे विश्व में हरियाणवीऔर उर्दू संभवतः अकेली ऐसी भाषाएं हैं जिनके संज्ञा, सर्वनाम, क्रियापद और वाक्यरचना पूर्णतः समान होने के बावजूद उन्हें दो अलग-अलग भाषाएं माना जाता […]

भीड़ असहाय थी सहमा सहमा, खोया खोया मेरी आँखों में ख़ून का ज़हर था और दिल में नींद थी वह असहाय कपड़ों के तार उठा रहा था एक निरंतर मजबूरी द्वारा शब्द और शब्द का अर्थ बदल दिया गया था आश्चर्यजनक रूप से, दिन और रात गुलशन लगभग तेरह रात […]

साहित्य मानवीय अभिव्यक्ति की एक उत्कृष्ट कृति है। साहित्य जो पीड़ितों की पीड़ा और समस्याओं को हल करने के लिए समाज में परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करता है। ऐसे रचनात्मक साहित्य का प्रवाह आज कम हो गया है। जब तक प्रगतिशील आंदोलन अपने मजबूत सार में था, साहित्य और जीवन […]

यह कोई जरूरी तो नहीं रमाबाई का जिकरा करना मैं एक बार हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय मैं सर्टिफिकेट कोर्स के पेपर देने के लिए गया हुआ था वहां पर मुझे करीब 20 रोज रुकना पड़ा जिस घर में मैं रुका था वह घर दिलशाद अहमद का घरता मैं तो जब […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।