भीड़ असहाय थी।

1 0
Read Time1 Minute, 51 Second

भीड़ असहाय थी
सहमा सहमा,
खोया खोया
मेरी आँखों में ख़ून का ज़हर था
और दिल में नींद थी
वह असहाय कपड़ों के तार उठा रहा था
एक निरंतर मजबूरी द्वारा शब्द
और शब्द का अर्थ बदल दिया गया था
आश्चर्यजनक रूप से, दिन
और रात गुलशन लगभग तेरह रात थे
वे भयावहता के मार्ग में कांप रहे थे
और कोहरे के कारण जाति की
छवि गायब हो रही थी
पक्षी घोड़े के इहराम में प्रार्थना कर रहे थे
पिछले कुछ समय से फूलों का मौसम इच्छा की शाखा पर रहा है
कोई दस्तक नहीं थी
ऐसा जुल्म का मकड़जाल था
यह कि शाखाएँ नृत्य के प्रति अनिच्छुक थीं
बंजर हाथ जो दिलों में डर की फसल उगाते हैं
फिर दूसरे पक्ष को कलियों के रक्त से भिगोया जाएगा
की तैयारी में शामिल थे
अचानक फूल का मौसम
उसने जेल का दरवाजा खटखटाया
हवा ने कपड़े बदल दिए
पेड़ों पर फूलों ने गुलाबी छंद लिखे
बदलते दृश्यों के आकर्षण में सपना
व्याख्याओं के चंगुल से मुक्त
बस एक अक्षर की मिठास ने मुझे इस तरह चकित कर दिया
कि कविता रंग और गंध बदलती है
पक्षियों की उड़ान में, शिकारी अभी भी खतरे में है
नए सीज़न ने पलकों पर वादों की एक सुनहरी गठरी डाल दी है
कि हम आशा के एक मौसम हैं
बारिश में स्नान करेंगे
नए सूरज उगेंगे
हम एक नई पृथ्वी बनाएंगे

खान मनजीत भावडि़या मजीद

matruadmin

Next Post

बलिदान दिवस

Sat Dec 19 , 2020
भारत माँ के चरणों मे हम, अपना शीश चढ़ाने आए हैं। मतवाले आज़ादी के हम, पुत्र धर्म निभाने आए हैं।। माँ को जिसने दर्द दिये हैं, उनको धूल चटाने आए हैं। अंग्रेजी हुकूमत को उनकी, औकात दिखाने आए हैं।। गुलामी की जंजीरों से हम, भारत माँ को छुड़ाने आए हैं। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।