सन् उन्नीस सौ पचास में गणतंत्र जन्मा सतत् यह ऊँगली थामे नेताओं की चलता संसदों की गुँजारों से बनता बढ़ता रहता अच्छा लगता न्यारा सारा संविधान हमारा अख़बारों की कुख़बरों से मन उचट जाता आती तेरी याद बहुत सारी भारत माता एक ही बात निकलती दिल जब भर आता संविधान […]