गणतंत्र दिवस देश का,
जनतंत्र है स्वदेश का।
संविधान लिखा गया,
लागू फिर किया गया।
पवित्र पर्व है यही,
पवित्र धर्म है यही।
सुविज्ञ राष्ट्र है यही,
ये राष्ट्र है सर्वोपरि।
उचित लोकतंत्र है,
शुचि पर्व गणतंत्र है।
पर्व ये अशेष है,
ये राष्ट्र ही विशेष है।
सब एकसूत्र में बँधे,
न भेदभाव में फँसे।
हर एक फूल-सा खिले,
सब देश के लिए जिएँ।
गणतंत्र का महत्त्व है,
जनतंत्र का महत्त्व है।
दुर्भावना न हो कभी,
सद्भावना में हों सभी।
न कर्मभ्रष्ट हो कोई,
न धर्मभ्रष्ट हो कोई।
माँ भारती का मान हो,
राष्ट्र का जयगान हो।
#विनय अन्थवाल
देहरादून उत्तराखण्ड