समय-समय का फेर है,समय बड़ा बलवान, समय समझ करते रहो,दान मान सम्मान ; यही है बात पते की। समझ चूकी पछताय नर,समय बड़ा बलवान, समय साथ जो जन चले,खिले होंठ मुस्कान.. सुधर जा अब तो प्राणी। समय भूली छल-बल करे,करे अशुभ जो काम, ऐसे ही नर कर रहे,मानवता बदनाम ; […]

सामान्यतः लोगों की, आयु बढ़ने पर बल,तेज,आभा.. घटते जाते हैं, लेकिन स्वामिन आप, आप इसके अपवाद हैं,क्योंकि, जितनी-जितनी आपकी आयु, वृद्धि को प्राप्त हो रही है.. आप उतने ही तेज, आभा,अनुभव आदि की.. वृद्धि को प्राप्त हो रहे हैं। यूँ कह दूँ कि, आपकी साधना में.. प्रतिदिन निखार आता चला […]

दो सहस अरु चहोत्तर,नवसंवत् का आन। विक्रम तेरे राज का,जग करता है गान।। अवंती विक्रम की पुरी,राजा थे बलवान। दूध पानी-सा न्याय करे,कहते कवि मसान।। झरना भी अब सूखते,नदियाँ भई उदास। फसलें खेत बहार हैं,मास चैत बैसाख।। नए साल के आवते,फूले फूल पलाश। पेड़ों की कोपल चली,नव पल्लव की आस।। […]

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नफरतों की आंधियां है, रिश्ते बनाकर चलिए, दुश्मनों की कमी नहीं,दोस्त बनाकर चलिए। सब कुछ बिक रहा है झूठ के इस बाजार में, अपने ईमान को जरा-सा संभालकर चलिए। कांटों से भरा सफर है दामन बचाकर चलिए, सियासतों का शहर है बोली लगाकर चलिए। अब ये दौर नहीं बचा सवाल […]

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वह जिन्दगी में आए उतार-चढ़ाव के थपेड़ों और बढ़ती महंगाई में परिवार के बोझ को सह नहीं पा रहा था। आए दिन उसके जहन में आत्महत्या करने का विचार कोंध जाता,मगर फिर परिवार की जिम्मेदारी और बच्चों के भविष्य के लिए वह हिम्मत जुटाकर जिन्दगी को आगे बढ़ाता चला गया। […]

वह दिन जब हम आए थे, हाँ,खाली हाथ तनहा,अधूरे से……. मिला यहाँ अपनों का साथ। कोरे कागज़,खाली कैनवास से, थे भोले भाले.. रंग मिले इस दुनिया से कुछ श्वेत,कुछ काले। पर अब सीख गए हैं, छल-कपट,द्वेष-राग.. अस्तित्व बचाने हो रही अब दुनिया की दौड़ भाग। फिर जन्मदिवस तुम आए, जीवन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।