ए दिल बता,मेरी ख़ता क्या है,
सोचता क्या है,आखिर तेरी रज़ा क्या है।
राज़ है कोई,जो छुपा रखा है तूने।
बता तो सही,आख़िर माज़रा क्या है।।
एक अरसे से,लिखना चाहते थे,
दिल के जज़्बातों को कलम से।
पर जब लिखने बैठे,तो सोच में पड़ गए,
आखिर लिखना क्या है।।
क्यूँ बुझे-बुझे से रहते हो,
अपने दिल की बात कहते नहीं।
आख़िर इस तरह अपने आप को
सजा देने की,वजह क्या है।।
जिंदगी जीना है,तो खुल के जियो,
हर पल हर लम्हा मौज में रहो।
यूँ पल-पल,घुट-घुटकर,
जीने में मज़ा क्या है।।
#प्रीती दुबे
परिचय : मध्य प्रदेश में ही निवासरत प्रीति दुबे प्रधानमंत्री सड़क योजना छिंदवाड़ा में उपयंत्री के पद पर कार्यरत हैं।आपने कुछ समय पहले ही शौकिया तौर पर लिखना शुरू किया है। आपकी रचनाओं का खास तत्व स्त्री और प्रेम है।