Read Time3 Minute, 32 Second
देश की सरकार को कोसते,अर्थव्यवस्था को चौपट करने की कोशिश करते,रुपए की घटती कीमत का ठीकरा दूसरों पर फोड़ते और स्वदेशी उत्पादों का मजाक बनाते लोगों को तो हम सबने कहीं-न-कहीं देखा और सुना होगा,क्योंकि ये वही लोग हैं,जो `आधुनिकीकरण`(मॉडर्नाइजेशन) की छाप लगवाने के लिए विदेशी कम्पनियों के शो-रुम में स्वयं सेवा के नाम पर पैसे देकर भी बोझ ढोने के लिए लम्बी-लम्बी कतार लगाने को अपनी शान समझते हैं। मातृभाषा हिन्दी बोलने में इनको शर्म आती है,पर दूसरों की मातृभाषा,टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलने में ये अपनी शान समझते हैं। गन्ने का रस नहीं,इन्हें कोक पीना है,प्यार से बनी पूरी-भाजी नहीं,इन्हें पिज्ज़ा-बर्गर खाना है। गीता,क़ुरान,भजन नहीं,बल्कि इन्हें यो यो हनी और मुन्नी बदनाम सुनना है। अपनों का गला काटकर विदेशियों के खाते भरने से पहले इतना तो सोच लीजिए कि,सिक्का भले खोटा सही,मगर अपना तो अपना होता है। हमारे पूर्वजों ने 200 साल जिन फिरंगियों की यातनाएं सहीं और जिनसे अपने वतन को आज़ाद कराने में हजारों कुर्बानियां दी तो क्या इसलिए कि, हमारी आने वाली पीढ़ी फिर से इस पश्चिमी सभ्यता की गुलाम हो जाए। अरे आधुनिक होने का मतलब ये नहीं कि, हम अपनी सभ्यता,संस्कार और जड़ों को भूल जाएं। फेसबुक पर पसंद का बटन दबाते-दबाते हम बुजुर्गों के पांव दबाना भूल गएl जिन्हें जानते नहीं,उनसे रिश्ते बनाने के चक्कर में अपने बने हुए रिश्तों को निभाना भूल गए, जस्टीन बीबर,किम करदाशियां को याद करते-करते शायद हम अपने आज़ाद-भगतसिंह को भूल गए,हॉलीवुड और डिज़्नी देखते-देखते रामायण-महाभारत को भूल गए,महंगे डिस्को,रेस्त्रां में पैसा उड़ाते-उड़ाते गरीबों की सेवा करना भूल गए और सच में तो आधुनिक बनते-बनते शायद हम असल भारतीय बनना भूल गए हैं।
मेरे प्यारे देशवासियों जागो,मतलब के इस बाज़ार में बिकने से पहले अपने देश के बारे में सोच लो। कड़े संघर्षों से मिली इस आज़ादी को फिर इस विदेशी बाजार में नीलाम मत करोl ये आर्थिक गुलामी हमारे देश के अपने किसान, व्यापारी,मजदूर और गरीबों के लिए अभिशाप बन रही है। जितना हो सके स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करें और देश के विकास में सकारात्मक योगदान दीजिएl
#सुनील रमेशचंद्र पटेल
परिचय : सुनील रमेशचंद्र पटेल इंदौर(मध्यप्रदेश ) में बंगाली कॉलोनी में रहते हैंl आपको काव्य विधा से बहुत लगाव हैl उम्र 23 वर्ष है और वर्तमान में पत्रकारिता पढ़ रहे हैंl
Post Views:
498