धूल भरी गलियाँ वो सुहाने दिन माँगे, जिंदगी मुझसे फिर वही बचपन माँगें।। ज्येठ की दोपहर तपती जमीं पकते खजूर, अधपकी अमिया काले काले  जामुन माँगे। बरसाती पानी में निहारी थी कभी अपनी छवि, जिंदगी मझसे फिर वही पानी के दर्पण माँगे। महुआ की चौखट वो मेरे गाँव की बाखर, […]

यही नाम दिया था,पर क्या मालूम था कि जो नाम उन्हें दिया बस वही नाम उनके मुख से निकलेगा। लगता है मानो कल की ही बात है। पास में ग्वालियर से एक परिवार रहने आया था। तीन बच्चों की पढ़ाई के लिए वो पति से दूर इंदौर में बच्चों के […]

गणना करके काल की करते भाग्य उदय। देते चुनौती काल को नहीं किसी का भय। भरतवंशी हम कहलाते करते पुण्य प्रताप। पल-पल खुशियों से भर देते नहीं, कोई सन्ताप। त्याग-तप और प्रेम का दिया हमने सन्देश। हिन्दू धर्म की श्रेष्ठता देते परोपकार उपदेश। पशु-पक्षी तक पूजित जहाँ,रहता भाव मर्म। पेड़-पौधों […]

छुप-छुप के पीछा करती है, अपनी कभी बेगानी-सी लगती। खुद से ही बातें करती है, बिंदास कभी सकुचानी-सी लगती। सुध-बुध सी खोए रहती है, वो नजर दीवानी-सी लगती। तकती है मुझे वो मुंडेर से, देखे है मुझे गलियारे से। पनघट पे बुलाती है मुझको, करे इशारे वो चौबारे से। बेशर्म […]

हे ! नव संवत् है तुम्हारा अभिनंदन, ब्रह्म जी ने किया चैत्र में सृष्टि सृजन। चैत्र का महीना,वर्ष प्रतिपदा का दिन, अयोध्या के राजा बने दशरथ नंदन।। हे ! नव संवत् क्या करुं मैं गुणगान, होय पहले ही दिन शक्ति का आह्वान।। गुड़ी पड़वा दिन विजय ध्वज फहरे, लिए नव […]

कभी दिल में तुम्हारे सब, कभी दिल में हमारे सब, मुहब्बत में सनम दिखते हैं,अब बंजर नज़ारे सब। गई हो छोड़ के जब से,यहाँ मातम-सा मंजर है, कि अब रोती हैं रातों को,मेरे घर की दीवारें सब। कभी मिलना-मिलाना था,जहाँ यारों सुनो अपना, तड़पते खूब हैं हरपल,वहाँ साहिल किनारे सब। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।