धूल भरी गलियाँ वो सुहाने दिन माँगे, जिंदगी मुझसे फिर वही बचपन माँगें।। ज्येठ की दोपहर तपती जमीं पकते खजूर, अधपकी अमिया काले काले जामुन माँगे। बरसाती पानी में निहारी थी कभी अपनी छवि, जिंदगी मझसे फिर वही पानी के दर्पण माँगे। महुआ की चौखट वो मेरे गाँव की बाखर, […]