कवि की मूल प्रकृति संवेदनशीलता- श्री भिसे
सूफ़ियाना मिज़ाज की कविताएँ हैं ज़िन्दगी अतरंगी सी- श्री तिवारी
इन्दौर । ‘कवि का मूल तत्त्व संवेदनशील होना है। संवेदनशीलता ऐसी अपेक्षा है, जिसके आँसू नहीं होते। और यह अतरंगी कविताओं का संग्रह अब पाठकों के हवाले है।’ यह बात उस्ताद अल्लाउद्दीन ख़ाँ संगीत एवं कला अकादमी के पूर्व निदेशक जयंत भिसे ने पुस्तक लोकार्पण के आयोजन में बतौर मुख्य अतिथि कही।
संस्मय प्रकाशन के बैनर तले रविवार को पत्रकारिता एवं जन संचार अध्ययनशाला में कवि श्रीकांत टकले के कविता संग्रह ‘ज़िन्दगी अतरंगी सी…’ का लोकार्पण सम्पन्न हुआ।
आयोजन की अध्यक्षता कर रहे इन्दौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि ‘साहित्य शहर की परम्पराओं को संरक्षित रखता है, आज जिस किताब का लोकार्पण हुआ उसमें सूफ़ियाना मिज़ाज की कविताएँ हैं, जो मन को सहज भाती हैं।’
बतौर चर्चाकार मौजूद डॉ. संध्या गंगराड़े ने अतरंगी की अंतरंगता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ‘ये कविताएँ उम्र के उस दौर की कविताएँ हैं,जब सब भला-भला लगता है, दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है।’
चर्चाकार डॉ. स्नेहलता श्रीवास्तव ने कहा कि ‘कविता संग्रह में काँटों के गुलिस्तां में ख़ुश्बू के संगम हैं। इसमें प्रेम है, प्रेमी जीवन की विडंबना को दर्शाती कविताएँ हैं।’
आयोजन में संयोजक संस्मय प्रकाशन की संस्थापक शिखा जैन बतौर विशेष अतिथि मौजूद रहीं। साथ ही, नई दिल्ली से भावना शर्मा, व लक्ष्मीकांत पंडित का विशेष अभिनंदन किया गया।
अतिथियों का स्वागत दर्शना टकले, डॉ. दर्शिका टकले ने किया। शब्द स्वागत मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने किया। कार्यक्रम का संचालन अखिलेश राव ने व आभार लक्ष्मीकांत पंडित ने माना।
आयोजन में अश्विन खरे, रमेश चन्द्र शर्मा, मुकेश तिवारी, योगानंद होलकर, शीला चंदन, पारस बिरला, मोहित मण्डलोई, अविनाश भांड, दीपक तादगे, अमित होलकर, आदित्य फंडसे, सुनील टकले सहित साहित्यिकजन एवं गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।