जब भी रहूँ दुख में तब, मैं इसको गले लगाता हूँ.. खुश होता हूँ जब भी मैं, इसे होंठों से लगाता हूँ। यही प्रतिपल है मेरे आलिंगन की अधिकारी, मेरी कलम ही है असल में,मेरी प्रेमिका प्यारी। शब्द अनेक हैं अंदर मेरे, मोतियों से बिखरे पड़े.. माला बनाकर,मेरी कलम उन्हें […]
शिव बोलेः ‘हे पद्ममुखी! मैं कहता नाम एक सौ आठ। दुर्गा देवी हों प्रसन्न नित सुनकर जिनका सुमधुर पाठ।१। ओम सती साध्वी भवप्रीता भवमोचनी भवानी धन्य। आर्या दुर्गा विजया आद्या शूलवती तीनाक्ष अनन्य।२। पिनाकिनी चित्रा चंद्रघंटा, महातपा शुभरूपा आप्त। अहं बुद्धि मन चित्त चेतना,चिता चिन्मया दर्शन प्राप्त।३। […]