बेवजह ही बेजुबां दिल हो गया, अरमानों का अपने ही कातिल हो गया। मेरी उम्मीद जब बोली, तू शायद हमारा हो। हम बोले डुबोने बाला कब से साहिल हो गया॥                                         […]

मैंने गेहूँ के संग घुन पिसते देखा है, सियासत में लाचार किसान को मरते देखा है। सीमा विवाद में वीर जवान को मरते देखा है। मजहबी जंग में इंसानियत को मरते देखा है। जालिमों के बीच भोली जनता को फंसते देखा है। आज न कहेंगे हम कौन दोषी हैं, कौन […]

तेरे शहर से चुपचाप कहाँ जाऊंगा, बारिशें होंगी तूफान भी आएंगे पेड़,पौधों को सही, याद बहुत आऊंगा। मैं अकेला चला, भीड़ में भीड़ में किसे पाऊंगा, नया जहां,नई जगह नई भोर में बनाऊंगा। तेरे शहर को, तेरे भरोसे छोड़ मैं चला जाऊंगा, लौटकर जल्दी इत्मिनान रख वापस यंही आऊंगा। गीत […]

वो जीना भी तो क्या जीना, ये धरती की हरियाली छीनी । कुछ करना होगा, इंसानियत के लिए मरना होगा। मर चुकी इंसानियत की आशा, टूट रही है अभिलाषा। अब हम सबको कुछ करना होगा॥ सूखी हुई जो पड़ी है धरती, इसपर हमें बरसना होगा। अब मौसम हमें बदलना होगा॥ […]

वक्त के साथ चलो, बक्त भी साथ चलेगा। जीवन में खुशियों का संसार भी मिलेगा। क्या गम है और क्या खुशियां, जहाँ रहो बस वहीं मिलेगी। वक्त का काम है चलते रहना जो, हमेशा चलता रहता है समय के साथ कोई चले न चले वह तो चलता ही रहता है। […]

बेटी हिन्दी संस्कृता,अंग्रेज़ी का ज्ञान। उर्दू अरबी फारसी,बहुभाषा सम्मान॥ बेटी हिन्दी की विधा,धारे रुप अनेक। व्याकरण के ज्ञान से,करती अलग विवेक। बेटी कहानी रुप है,कविता आतम मान। रेखाचित्रा लघुकथा,निबंध पत्र को ज्ञान। नाटक अरु एकांकी,अरु कहो उपन्यास। डायरी अरु संस्मरणा,हिन्दी का इतिहास॥ यात्रा वृत्तांत है,भेंटवार्ता वार्ता आन। जीवनियाँ,आलोचना,गद्य विधा का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।