सोंधी-सोंधी-सी ख़ुशबू लेकर जब तुम आती हो, मुझको तो लगता है अपने खेत की तुम माटी हो। हरे-भरे पत्तों के जैसा है परिधान तुम्हारी, बागों की नाज़ुक कलियों -सी है मुस्कान तुम्हारी, पंखुड़ियों से अधर खिले तुम हर एक को भाती हो। मुझको तो लगता है अपने खेत की तुम […]