कुदरत की कारीगरी हो, ख़ुद अपनी पहचान हो। मत भूलो वज़ूद अपना, तुम भी एक इंसान हो॥ मानवता का मंदिर हो, प्रेम की मिसाल हो। ओ अपने भाग्य […]
बरसो,बरसो रे मेघ, बरसो,बरसो रे मेघ। धूप से सूख रहे हमारे खेत, बरसो,बरसो रे मेघ। बरसो,बरसो रे मेघ॥ नदी,पोखर,तालाब और नाले, कब बहेंगे फिर होकर मतवाले। रिमझिम फुहारों को धरती पर भेज, बरसो,बरसो रे मेघ। बरसो,बरसो रे मेघ॥ मेंढक,झींगुर,मोर,पपीहा, बुलाए तुमको मेघ संवरिया। गर्मी से झुलस रही इनकी देह, बरसो,बरसो […]