मेरा शहर न अब मेरा है, गली न मेरी रही गली है। अपनेपन की माटी गायब, चमकदार टाइल्स सजी है। श्वान-काक-गौ तकें,न रोटी मृत गौरैया प्यास लजी है। सेंव-जलेबी-दोने कहीं न, कुल्हड़-चुस्की-चाय नदारद। खुद को अफसर कहता नायब, छुटभैया तन करे अदावत। अपनेपन को दे तिलांजलि, राजनीति विष- बेल पली […]
विशाल भावना लिए,करे समृद्ध मंच को, विशुद्ध छंद काव्य से,प्रमाण दे प्रपंच को। विराट रम्य वैभवी,नमो नमो विशारदे, विराज मात शारदे,मनोज्ञ भान तारदे॥ नमो नमामि भारती,सरस्वती प्रभा झरी, सुरीति नीति प्रीति लै,सुहंसवाहिनी ठरी हे ! चंद्रकांत शारदा,सुमंगली ब्रह्मेश्वरी, सुबुद्धि,ज्ञान दान दे,अनंत दिव्यता धरी॥ […]