0
0
Read Time43 Second
किसको सुनाएं गरीब कहानी गुरबत की।
मर-मर के जीना है ये निशानी कुदरत की॥
न बरसात हो तो खेतों के सूखने का खौफ।
अगर बरसात हो जाए फिक्र होने लगे छत की॥
गरीबी से हो जब रिश्ता,न रिश्तेदार रहते हैं।
न खैर की उम्मीद,न उम्मीद किसी खत की॥
तमाम उम्र बस सोचे कभी सुकून के हों पल।
गुजर जाती है सारी उम्र घड़ी न आए फुरसत की॥
जिनके पेट हों भूखे उनकी सोच रोटी तक।
भरे हैं पेट जिनके वो ही करते बात जन्नत की॥
#अमित शुक्ला
Post Views:
400