मनहरण घनाक्षरी छंद…… पक्षियों को दाना-पानी,हम न खिलाएंगे तो , दाना-पानी कौन भला उनको खिलाएगा। यूं तो कई लीटर, पानी को बहाते हम, चुल्लू भर पानी इन्हें जीवन दिलाएगा। दो मुट्ठी गेहूं के दाने, इनको खिलाएंगे तो, क्या हमारे भंडारे में, बोलो फर्क आएगा। आपके भरोसे द्वारे-द्वारे वो भटकते हैं, […]

‘बरेली  की बर्फी’ को देखा तो याद आया आगरे का पेठा, राजिस्थानी  घेवर  और  मथुरा  के पेड़े पर  दिल एंठा। गुजरात  की सोन पपड़ी  और बंगाल के रसगुल्ले, कौन होगा जो जवानी के ये रसभरे किस्से भूले। मारवाड़ी  काजू  कतली  और रसीली रबड़ी, जो कालेज के दिनों में करती थी […]

आस लगाए बैठा हूं तुमसे, बरसोगे कब,बताए रे बदरा। सावन बीता सूखा-सूखा पर, भादो आस,जगाए रे बदरा। जो था पास मेरे वो खेतों पर, बैठा हूं सब,लगाए रे  बदरा। अंतिम आस तुम्हीं हो पर , दिल भी,घबराए  रे बदरा। कहलाता है अन्नदाता पर, फसल अब,रुलाए रे बदरा। भूख सभी की […]

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  आज देखी है मैंने जल की तृष्णा, बड़ी भयंकर,वीभत्स,अनोखी-सी। अजस्र नरों का रक्त पीकर इठलाती चल दी भूखी-सी। अपना बहाव बदलकर आई है जन-मानस के जंगल में, बस जीत रही है आज अकेले प्रकृति-मानव के दंगल में। पर बुरा भी क्यों मानूं मैं उसको,जब उसे हमने ही हड़काया है, अपने […]

       दो बजे की आधी छुट्टी में वह घर खाना खाने आई,माँ तब भी रामायण पढ़  रही थी।         हम दोनों  साथ में खाते थे। ‘आप आज फिर इतनी देर से खाना खाएंगी।’         ‘आज मशीनवाले जवाहर भैया आ गए थे। चाय-नाश्ते […]

आज धन हो तो शिक्षा होती है, बिना धन के तो प्रतिभा भी रोती है। मुझे गर्व है मैं हिन्दुस्तान में रहती हूँ, फिर क्यूं मेरे देश में केवल अंग्रेजी ही सम्मान से जीती है। लाख योजना निकल के बन्द कागजों तक सीमित रह जाती है, इसलिए तो लाखों कला […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।