मैं तो अछूत बच्चा हूँ जी, समझ का भी थोड़ा कच्चा हूँ जी। मुझे समझना है कि पापा क्यों पीते हैं, मुझे समझना है कि घर के बर्तन क्यों रीते हैं। मुझे समझना है कि मम्मी क्यों पिटती है, मुझे समझना है कि भूख कैसे मिटती है। क्यों मां मुझको […]

अन्जानों के साए में अपनों को खोजता है, बड़ा बावरा है वो जो इस कदर सोचता है। कौन कहता है गिरते नहीं जाँबाज जंग-ए-मैदान में, उसे क्या पता जो मैदान छोड़ स्थान ढूँढता है। लड़खड़ाया-सा क्यों है दौरे-ए-जूनून में, मन्जिल बाकी है अभी वो, नई राह ढूँढता है। रिश्तों की […]

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कुछ लोग ज़माने में यारों नफ़रत फैलाने वाले हैं। नींव हिले न हिले इनसे, दीवार हिलाने वाले हैं॥ कोई राम को गाली दे कोई रहीम को कोस रहा। फिर कैसे माना जाए कि अच्छे दिन आने वाले हैं॥ इन गद्दारों की बातों में सब कल की बातें भूल गए। हम […]

बहुसंख्यकों के बीच में अल्पसंख्यकों का वतन की सर्वोच्च आसंदी पर आसीन हो जाना हिन्दुस्तान की सरजमीं के अलावा कहीं दीगर मयस्सर नहीं है। जाके देखिए,उन मुल्कों में जहां अल्पसंख्यकों के लिए नुमाइंदगी तो छोड़िए मर्जी से जीना तक बमुश्किल है। यह हिन्दुस्तान की गंगा-जमना तहजीब की सीख है कि […]

लह़द पर आकर मेरी आंसू बहाओगी, जो दिल की बात अभी नहीं बताओगी l कल्ब का हो जाएगा तेरा हाले-ज़ार, फिर किसको अपना जख्म दिखाओगी l शादमां न हो सकोगी कभी भी तुम, लैलो-नह़ार ग़मज़दा जीवन बिताओगी l करोगी इश़्क जब इक इबादत मानकर, तो खुद पर इख्तियार कैसे कर […]

आसमान पर काली घटाएं छाने वाली है, बेवक्त जाने-अनजाने हम को हँसाने मन को गुदगुदाने धरती को वृक्षों से सजाने वाली है। आसमान पर…..॥ बह रही है नदियाँ निर्मल धारा बनकर, देख रहा है दुःख बेचारा बनकर, गूंज रहा सुख नारा बनकर धरती पर उगी मुलायम घास को गाय खाने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।