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हमारे मन में,
जब तक
वो ईश्वर,अल्लाह
खुदा, राम रहेंगे।
तब तक, ऐसे कई
पाखण्डी रावण,
अपने आप ही,
इस धरा से, मिटते रहेंगे।
अपने कृत्यों से, स्वयं
सत्य की अग्नि में,
जलते रहेंगे।
सावधान रहना होगा,
आज के रावण से,
जन-जन के राम को।
यह त्रेता नहीं, कलियुग है,
बचाना होगा,
आज के अपने,
साकेत-धाम को।
#डा. महेशचन्द्र शांडिल्य
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