1

आदमी आदमी न रहा, कभी सब प्राणी मात्र थे। फिर जंगल खत्म होते गए, इंसान सभ्य होते गए… स्वार्थ बढ़ता गया…। अर्थ जितना बढ़ा… सोच घटती गई, हुए कमरे नए… उसमें चीजें नई…। भोर-दोपहर खरीदा, और शाम सुरमई…! बिक गया दीन… ईमान इक भूख पर। कितने अरमां दफन, हैं इक […]

बड़ी भीड़ थी वहां, कुछ शोर भी मच रहा था। जो देखा आगे जाकर इंसानियत का अंतिम संस्कार हो रहा था। बड़ा घृणित मंजर था वह, एक महापाप हो रहा था। वहशी बने खड़े थे कुछ लोग, एक मासूम मृत-सा वहीं पड़ा था। उसके हाथों में एक खाने की थैली […]

फासला कम मैं कर दिखाती हूँ। प्यार को अपने आजमाती हूँ॥ तिश्नगी मेरी क्यों नहीं बुझती। ओस से अपना दिल जलाती हूँ॥ आप-बीती चलो मेरी सुन लो। सभी छिपी बातें अब बताती हूँ॥ क्या मिला जान दे के भी मुझको। दिलजले से जिया लगाती हूँ॥ वो नहीं समझे प्यार को […]

`अच्छा बच्चों! आज मैं मुहावरे सुनती हूं`l पांचवी कक्षा की शिक्षिका कविता ने बच्चों से कहा। `मैडम जी! दोहराई करने दीजिए।` सस्वर सभी छात्रों ने नम्र निवेदन किया। `ठीक है,दो मिनट देख लीजिए।` ‘शिक्षिका ने बड़प्पन दिखाया। इसके बाद शिक्षिका ने छात्रों की कॉपी बंद करवा दी और मुहावरे सुनने […]

पूर्वालोकन……….. २०१२ में टाइगर की सीक्वल ५ साल बाद ‘टाइगर ज़िंदा है…’ के साथ प्रस्तुत होने जा रही है। वह फ़िल्म बड़े स्तर पर कामयाब रही थी और पहले ही दिन ३३ करोड़ की ओपनिंग दी थी  तथा २०० करोड़ पार का धन सँग्रह किया था। ‘टाइगर ज़िंदा है’ टाइगर […]

मुझे मालूम है कि वो मेरा नहीं है फिर भी, उसे पाने,नाकाम कोशिश किए जा रहा हूँ। मुझे पता है उसके बिना जी नहीं सकता, बेशक उसके बिना भी जिए जा रहा हूँ। वो मुझे मिलेगी एक दिन मुझे नहीं मालूम, फिर भी दिल को सब्र बंधाए जा रहा हूँ। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।