जीवन एक अनमोल है, रखिए इसे सम्भाल जरा-जरा-सी बात पर, जीवन खतरे में न डालl एक बार जीवन गया, फिर हाथ न आएगा आत्मा कष्ट भोगेगी प्रभु नाराज हो जाएगाl आत्महत्या करना भी है जघन्य अपराध, जो जीवन से हारा हो गया वह बर्बादl क्रोध,विवेक हरता है, पाप वही करता […]

बीत गया जो पल उसे भूल जाते हैं, आने वाले कल का जश्न मनाते हैं। अरमान है दिल में पूड़ी और मिठाई का, पर सूखी रोटी पर संतोष किए जाते हैं। मिले खुशबू बेली और चमेली की, पर रजनीगंधा की ओर बढ़े  जाते हैं। हम जानते हैं प्रेम एक मर्ज […]

मैं हूँ वतनपरस्त फौजी,मुझसे प्यार मत करना, कब शहीद-ए-आम हो जाऊं,मेरा इंतजार मत करनाl सोलहवां सावन बीता,कई सावन बाकी तुम्हारे, गिंदगी बसर साथ मेरे,ख्वाब गुलजार मत करनाl सिर कफन बांध निकला हूँ मैं वतन के वास्ते, लौटूँगा लिपट तिरंगे में,खातिर मेरे दिल बेकरार मत करनाl हाँ ये सच है मुझको […]

1

पेड़ की डाली से जब सारे के सारे पत्ते झड़ नीचे आ जाते, पेड़ की एक-एक डाली के ऊपर फूल लद जाते। खास मौसम में ही पलाश फूल खिलते, वैसे ही तुम भी आते मुझ पर फागुन का पाग पलाश के फूलों से बने लाल रंग से लगाने। अर्ध चँद्राकार […]

उनकी अपेक्षा बस इतनी है कि, तुम उन्हें नहीं भुलाओगे। मीठे-मीठे रंग घुले अभी यहां दिख रहे, सच तो यह है कि भले वर्तमान करता हो प्रदर्शन अपनी पहचानों की, मीठा शरबत तभी बना जब चीनी उसमें गल जाए। अदृश्य कणों की आशा होगी कि तुम उनका भी परिचय करवाओगे, […]

स्वतंत्र-संस्थानों के कानून- वारांगणानों के हाव भाव- दोनों में है कितनी समानता- कितना मिलाव। चाँदी की चमक के माप पर बदलते भाव,वारा-कन्याओं के- मालिकों के लाभ-हानि के माप पर, बदलते कानून-स्वतंत्र संस्थाओं के। ज्यों हो कोई संगीत कुर्सी का खेल- रुक जाता है संगीत, बजते-बजते। खिलाड़ी हो जाते विवश- चलते-चलते। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।