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बीत गया जो पल उसे भूल जाते हैं,
आने वाले कल का जश्न मनाते हैं।
अरमान है दिल में पूड़ी और मिठाई का,
पर सूखी रोटी पर संतोष किए जाते हैं।
मिले खुशबू बेली और चमेली की,
पर रजनीगंधा की ओर बढ़े जाते हैं।
हम जानते हैं प्रेम एक मर्ज हुआ करता है,
फिर देवदास की तरह शराब पिए जाते हैं।
कुछ गलतियां हम जानकर ही करते हैं,
फिर भी गलतियों पे पश्चाताप किए जाते हैं।
हम आशा और उम्मीद पर समाज बदलते हैं,
पर देखते ही सब-कुछ बदल जाते हैं।
कल रो रहे थे ‘रुपेश’ गुजरे हुए ज़माने पर,
आज नववर्ष पर उल्लास मनाए जाते हैं॥
#रुपेश कुमार
परिचय : चैनपुर ज़िला सीवान (बिहार) निवासी रुपेश कुमार भौतिकी में स्नाकोतर हैं। आप डिप्लोमा सहित एडीसीए में प्रतियोगी छात्र एव युवा लेखक के तौर पर सक्रिय हैं। १९९१ में जन्मे रुपेश कुमार पढ़ाई के साथ सहित्य और विज्ञान सम्बन्धी पत्र-पत्रिकाओं में लेखन करते हैं। कुछ संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित भी किया गया है।
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