आज-कल चुनावी मौसम में न जाने कितने लोग दल बदलते है। ये सिर्फ नेताओ तक ही सीमित नहीं है।आम पब्लिक भी रोज दल बदल रहे हैं।हर जगह स्वार्थ का बोल-बाला है। सिद्धान्त विहीन होते परिवेश में राजनीति ही नहीं भावनाओं का खिलवाड बदस्तूर जारी है। बोलचाल की भाषा में […]