बसमतिया के सपनो में किसान

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aashutosh kumar

    वैशाख का महीना तेज घूप और चुनाव का मौसम हर तरफ चहल पहल प्रचार की गाडियाँ रोज गाँव मे आते और प्रचार करते। अलग- अलग पार्टियो के होने की वजह से सभी के चुनाव श्लोगनो में अंतर होता था परंतु मकसद एक ही होता था वोटरो को लुभाना और उन्हें तैयार करना ताकि अपने प्रत्याशी को जीता सकें ।
बसमतिया एक विधवा औरत थी वह गाँव में ही अपनी खेती करती थी और बचे समय में दूध का व्यापार। साधारण सी दिखने वाली वह बहुत ही हिम्मत वाली ज्ञानवान और कार्य कुशल मे दक्ष थी।उसके दो बच्चे थे जो गाँव के स्कुल में ही पढ़ रहे थे।जब प्रचार गाडी गाँव में प्रचार करने आता था तो बच्चो की भीड हो जाती थी जिसमें बसमतिया के बच्चे भी होते थे जो बसमतिया के परेशानी का कारण बन रहा था क्योंकि जब वो प्रचार गाडी चली जाती बच्चे उसकी नकल उतारने लगते और कहते मै भी नेता बनूँगा। बसमतिया बच्चो की बात सुनकर खीझ जाती थी।
दरअसल पति के मौत के बाद वह नेताओ  के नाम से नफरत करने लगी थी उसे नफरत थी वैसे तमाम सिस्टम से जो वक्त रहते अपने पति का ईलाज नही करा सकी तिल तिल कर वह मौत के करीब पहुँच गया याद है जब वह बडे बडे नेताओ के आगे झोली फैलायी लेकिन सिर्फ आश्वासन और दौडभाग के अलावा कुछ न मिला इतनी सामर्थ नही थी कि प्राइवेट हास्पीटल मे ईलाज कर सके।दर असल रामकिशुन को ब्रेन ट्यूमर था जिसका आपरेशन जरूरी था लेकिन जरूरी कागज जुटाने भाग दौड और सरकारी कार्यो मे कुछ समय लग गये जिस वजह से ट्यूमर फट गया और रामकिशुन की मौत हो गयी।वह कहाँ नही गयी किसका दरवाजा नही खटखटाया पर कागजी कार्य में समय लगना ही था जो कि एक सिस्टम का हिस्सा है फलस्वरूप वह सोचती है अगर तत्परता से कार्य होता तो वह पति को बचा सकती थी ऐसा सोचना शायद उसके लिए उचित भी था।यही कारण है कि बसमतिया अपने बच्चो को नेताओ और दफ्तरों से दूर रखना चाहती थी। वह चाहती थी बच्चे पढ़ लिखकर एक सभ्य नागरिक के साथ उच्च कोटि का किसान बने जिस पर सभी गर्व करे। बसमतिया दूध का करोबार कर अच्छी खासी जमीन बना ली थी और योजना थी कि बच्चो को इतनी जमीन हो जाये कि वो अपना और अपनी जीविका के लिए इस घरती माँ की सेवा करें। बडे बडे नेता उनके बेटे के पास आये चुनाव के दिनों में  यही सब सोच रही थी कि इतने में छोटू आ गया और बोला माँ माँ ये प्रचार गाडी पहले क्यों नही आती थी अब क्यों आती है?
बेटा जिस तरह से तुम्हारे स्कूल में हेड सर है न उसी तरह से हमारे देश में हेड सर का चुनाव होता है सभी लोग वोट डालेंगे फिर जो जीतेगा उस दल के लोग हेड सर को चुनेगे और वह देश का र्शीष व्यक्ति होगा जो सबको समान रूप से देखेगे यह प्रत्येक पांच साल में एक बार होता है।छोटू बोला फिर मै भी चुनाव लडूंगा?
माँ बोली चुनाव लडकर भी देश की सेवा करनी है और किसान बनकर भी देश सेवा किसान बनकर करोगे बेटा तो सब मिलेंगे माँ गाँव और पुरखो की जमीन और नेता बनोगे तो सिर्फ बेचैनी पावर रूतवा अपार घन की भूख जो दिन प्रतिदिन बढती ही जाएगी और मिट्टी किसान गाँव समाज से तुम्हें दूर कर देगी।
छोटू बोला!
फिर तो मै किसान ही बनूँगा ।
इतना सुनते ही बसमतिया के आँखो में आंसू आ गये और वह धरती को एकटक निहारने लगी।

“आशुतोष”

नाम।                   –  आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम –  आशुतोष
जन्मतिथि             –  30/101973
वर्तमान पता          – 113/77बी  
                              शास्त्रीनगर 
                              पटना  23 बिहार                  
कार्यक्षेत्र               –  जाॅब
शिक्षा                   –  ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन                 – नगण्य
सम्मान।                – नगण्य
अन्य उलब्धि          – कभ्प्यूटर आपरेटर
                                टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य   – सामाजिक जागृति

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।