ख़्वाबों को दफनाकर क्योंकि,
कितने अंजाम अभी बाकी हैं।
पाकर रहेंगे सुदूर मंज़िल को,
रूह में हौंसला ए जान, अभी बाकी है।।
चढ़ रही है पेड़ पर बेफिक्र गिलहरी,
ना जाने कितनी उड़ान अभी बाकी है।
तुम डरा कर तोड़ रहे थे मुझको,
कर दूंगा साबित, प्रमाण अभी बाकी है।।
चढ़ना है आसमां पर अबाध फिर से,
पाने को लक्ष्य अंजान अभी बाकी है।
कमज़ोरी नहीं पैनी नज़र को देख राही,
तीर साधे अर्जुन का कमान अभी बाकी है।।
गिराकर तू बड़ा ना होगा क्योंकि,
दिल में मेरे अरमान अभी बाकी है।
तू जला के ख़ाक कर इस जिस्म को,
दधीची हूँ मैं,हड्डी में प्राण अभी बाकी है।।
#नीलेश झा ‘नील’
परिचय:
नाम: नीलेश झा ‘नील’
पिता का नाम :श्री बृजेश झा
माता की नाम:श्रीमती शोभना झा
जन्मतिथि : 27 सितंबर 1986
शिक्षा : LLB , MBA, MSC.cs
शिक्षणस्थान:रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर , माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल मप्र
संप्रति: अधिवक्ता मप्र उच्च न्यायालय जबलपुर , जिला एवं सत्र न्यायालय मंडला
प्रकाशन:देश की प्रतिष्ठित विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में नियमित रचनायें एवं समीक्षाएं प्रकाशित!
विधा :- मुक्तक , बाल साहित्य, कविताये, लघुकथा , कहानियां , व्यंग्य , समीक्षाएं, समसामयिक विषयों पर लेख ।।
संपर्क सूत्र: देवदरा मंडला (मध्यप्रदेश)