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शांत धरा के सीने में
धधकते हुए कई ज़ख्म हैं
पर क्यूँ इसकी हालत से
आज बेखबर से हम हैं
हवा जहरीली पानी दूषित
हर तरफ फैला है प्रदूषण
मानव के स्वार्थ के कारण
प्रकृति का ह्रास हो रहा भीषण
कब तक सहती रहेगी प्रकृति
इसका क्रुद्ध होना तो तय है
धीरज का बाँध टूटा यदि तो
निश्चित ही विनाश प्रलय है
आओ हम सब मिलकर इसको
फिर से नई उमंग और रवानी दें
हरियाली से भर दें दामन इसका
प्रदूषण रहित छटा सुहानी दें
# नविता जौहरीभोपाल ( म. प्र.)
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