हिंदी का प्रचार – प्रसार एवं अभिवृद्धि सुनिश्चित करें

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rajnathsingh

प्रिय देशवासियों ! 

स्वाधीनता संग्राम के दौरान स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा पर ज़ोर दिया गया था। यह हमारा राष्ट्रीय मत था कि बिना स्वदेशी और स्वभाषा के स्वराज सार्थक सिद्ध नहीं होगा। हमारे तत्कालीन राष्ट्रीय नेताओं, विद्वानों, मनीषियों एवं महापुरुषों की यह दृढ़ अवधारणा थी कि कोई भी देश अपनी स्वाधीनता को अपनी भाषा के अभाव में मौलिक रूप से परिभाषित नहीं कर सकता। हमें भारत में एक राष्ट्र की भावना सुदृढ़ करनी है तो एक संपर्क भाषा का होना भी नितांत आवश्यक है। इस प्रकार हिंदी को राष्ट्रीय स्वाभिमान का अंग एवं प्रेरणा स्रोत के रूप में सर्वाधिक उपयुक्त समझते हुए भारतीय संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में अंगीकार किया गया। हिंदी भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम होने के साथ-साथ भारत के संविधान में वर्णित भावनात्मक एकता को सुदृढ़ करने का जरिया भी है। यह भाषा देश की एकता और अखंडता को बढ़ावा देने में भी सहायक रही है।

26 जनवरी, 1950 को लागू भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार संघ सरकार की राजभाषा हिंदी होगी एवं इसकी लिपि देवनागरी होगी। संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसार संघ सरकार को यह दायित्व सौंपा गया कि वह भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक तत्वों तथा अन्य भारतीय भाषाओं के रूप, शैली और पदावली को आत्मसात करते हुए इसका प्रचार-प्रसार एवं अभिवृद्धि सुनिश्चित करे।

विश्व के सभी प्रमुख विकसित और विकासशील देश अपनी-अपनी भाषाओं में ही अपना सरकारी कामकाज करके समृद्ध और उन्नत हुए हैं। अशिक्षा, बेरोज़गारी और गरीबी से उबरने के लिए आम जनता को सूचना प्रौद्योगिकी, पर्यावरण संरक्षण, कृषि, इंजीनियरी, स्वास्थ्य सेवाओं जैसे अनेक क्षेत्रों में राजभाषा हिंदी के माध्यम से शिक्षित करने की अहम आवश्यकता है। इन क्षेत्रों में हिंदी में मौलिक लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने समय-समय पर पुरस्कार योजनाएं लागू की हैं। लेखक और प्रकाशक आधुनिक ज्ञान को सभी भारतीयों तक पहुंचाने में और भारत को एक महान एवं शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिंदी का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित करने हेतु भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप कंप्यूटर पर हिंदी में कार्य करना अधिक आसान एवं सुविधाजनक हो गया है। इसी क्रम में राजभाषा विभाग द्वारा वेब आधारित सूचना प्रबंधन प्रणाली विकसित की गई है जिससे भारत सरकार के सभी कार्यालयों में हिंदी के उत्तरोत्तर प्रयोग से संबंधित तिमाही प्रगति रिपोर्ट तथा अन्य रिपोर्टें राजभाषा विभाग को त्वरित गति से भिजवाना आसान हो गया है। सरकारी कामकाज अधिक से अधिक हिंदी में करने के लिए यह भी आवश्यक है कि भाषा को सरल एवं सहज बनाया जाए ताकि यह सभी के लिए बोधगम्य हो तथा इसका प्रयोग बहु-आयामी हो सके।

मैं केंद्र सरकार के अंतर्गत सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से आग्रह करता हूं कि वे अपने कार्यालयों में राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्वारा जारी वार्षिक कार्यक्रम में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु सार्थक एवं सतत प्रयास करें। मैं अपील करता हूं कि इस संबंध में भेजी जाने वाली हिंदी की तिमाही प्रगति रिपोर्टों में वास्तविक और तथ्यपरक आंकड़े एवं सूचनाएं ही दी जाएं। संघ की राजभाषा नीति का आधार सदभावना प्रेरणा एवं प्रोत्साहन है किंतु संबंधित अनुदेशों का अनुपालन उसी प्रकार दृढ़तापूर्वक किया जाना चाहिए जिस प्रकार अन्य सरकारी अनुदेशों का अनुपालन किया जाता है।

आइए, हिंदी दिवस के इस शुभ अवसर पर हम यह दृढ़ संकल्प लें कि हम सभी अपना अधिकाधिक कार्य पूरे उत्साह, लगन और गर्व के साथ राजभाषा हिंदी में करेंगे। मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि हमारे सामूहिक, सार्थक एवं सतत प्रयासों से हम अपना लक्ष्य अवश्य प्राप्त करेंगे और देश में हिंदी के प्रचार-प्रसार एवं प्रयोग को नए आयाम देंगे। जय हिंद !

राजनाथ सिंह

गृहमंत्री – भारत सरकार

 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।