नारी

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aashwani
हे नारी तू कितनी महान है,
तू है तो सारा जहान है।
हे शक्ति स्वरुपा,
हे रण चण्डिका..
आज तू इतनी बेबस क्यूँ है,क्यूँ
तू चाहे तो पल में प्रलय ला सकती है।
तेरे बिना देव-दानव नर-किन्नर,
सबके-सब अधूरे हैं।
पर आज तू चुप क्यों है क्यों,
दिखा दे तू अपना असली रुप।
कब तक लुटती रहेगी,
इन भूखे भेड़ियों के बीच।
जो खून के प्यासे हैं,
तुझे खिलौना समझते हैं।
हे काली मेरी एक विनती है,
बस तू इतना कर
अपने स्वरुप को पहचान,
अपने शक्ति को याद कर॥
                                                                          #अश्वनी नौरंगे’भ्रमर’
परिचय: अश्वनी नौरंगे का साहित्यिक उपनाम ‘भ्रमर’ है। १५ सितम्बर १९७३ में जन्मे श्री नौरंगे की रुचि काव्य लेखन और विधा-गजल,सजल,छंद,मुक्तक,मुक्त छंद,नवगीत आदि की है। आप व्यवसाय से शिक्षकों हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ छपती रहती हैं। कुछ सम्मान पाए हैं। भाषा -हिन्दी तथा छत्तीसगढ़ी जानते हैं। आपने हिन्दी साहित्य, समाजशास्त्र तथा इतिहास में भी एम.ए किया हुआ है। निवास-ग्राम खम्हरिया, तहसील जैजैपुर जिला जांजगीर, चाम्पा(छत्तीसगढ़) है।

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