मन का झरना
बहता जाये
इस कोने से उस कोने
झरना देखो आँखों का भी
बोझ हुआ गर कुछ दिल में
बह जाता यह पल पल
झरना एक जुबां का हैं
मुह से निकले
उबड़ खाबड़ निर्मल शीतल
झरना देखो मौसम में भी
हर मौसम में बहता जाये
उल्टा सीधा,सीधा उल्टा
झरना एक दोस्ती में रखो
हो कैसा भी अब जीवन
साथ रहेगा अब आजीवन।।
परिचय :
नाम-. मो.आकिब जावेदसाहित्यिक उपनाम-आकिबवर्तमान पता-बाँदा उत्तर प्रदेशराज्य-उत्तर प्रदेशशहर-बाँदाशिक्षा-BCA,MA,BTCकार्यक्षेत्र-शिक्षक,सामाजिक कार्यकर्ता,ब्लॉगर,कवि,लेखकविधा -कविता,श्रंगार रस,मुक्तक,ग़ज़ल,हाइकु, लघु कहानीलेखन का उद्देश्य-समाज में अपनी बात को रचनाओं के माध्यम से रखना