बदज़ुबानी भी मेहरबानी भी आइने सी तिरी जवानी भी देख अपनो की बदगुमानी भी भूल बैठा वो ज़ीस्त फ़ानी भी इस मुहब्बत में है नशा इतना खो न दूँ होश दरम्यानी भी। आशियाँ को सवारने वाली पुरअसर माँ की हुक्मरानी भी। हौसले में भी मेरे पँख लगे सब सुनेगे मेरी […]

फ़िज़ा में चमकता सितारा न देखा कभी दर्द उसने हमारा न देखा सभी काटते है यहाँ पे शज़र को तभी अब बशर में किनारा न देखा तेरा क्यों बुराई से होगा भला अब भलाई से हमने गुज़ारा न देखा गुमाँ भाईचारे का सबको यहाँ था यूं पहले सरीखा नज़ारा न […]

हज़ारों दर्दो-ग़म के दरम्यां हम थे जहाँ में अब कहाँ हैं कल कहाँ हम थे। अभी हालात से मज़बूर हैं लेकिन तुम्हारी जिंदगी की दास्ताँ हम थे। तुम्हारी बदज़ुबानी चुभ रही लेकिन तुम्हारे होठ पर सीरी जुबां हम थे। ये तख़्तों ताज दुनियाँ में भला कब तक मुहब्बत ज़ीस्त है […]

हमारी बस्ती में दिखी एक दिन गरीबी से ज्यादा बेवसी एक दिन। हवाएं चल रही हैं किस जानिब कहेगी शमां की रोशनी एक दिन। एक डर समाया है दिल में हमारे मौत होगी बुरी या भली एक दिन। दर्द की कराह है जो मेरे चेहरे पर दुनियां ग़म जानेगी सभी […]

मौत सर पे मिरे खड़ी होगी ज़ीस्त से तब भी दोस्ती होगी। इस वबा ने उजाड़ दी नस्लें आदमी ने ख़ता तो की होगी। जब सफ़र रहा यही सोचा माँ मेरी दर पे ही खड़ी होगी। भूलने वाले आरजू अपनी भीड़ में तन्हा ढूँढती होगी। मौत दुनियाँ को बांटता है […]

यूँ तो महबूब की आँखों में डूबता हूँ मैं अपने सीने में दबा दर्द नापता हूँ मैं।। उनकी साँसों में ही अब समाया हुआ खुद को खुद में ही यूँ अब ढूंढता हूँ मैं।। चाँद तारो की भी परवाह नही अब मुझको उनकी नज़रो से गिर कर अब टूटता हूँ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।