जिसने ठुकराया माँ को
वो बदनसीब हो गया
कदमो को चूमा जिसने
वो जन्नत के करीब हो गय|
माँ माँ है सब कुछ जो वार दे
अपनी संतान पे
जिसकी भी माँ है समझो
वो खुशनसीब हो गया-
माँ है खुदा इबादत
मन्दिर और मस्जिदे
जिसने भी किया सर सजदा
वो दिल के करीब हो गया-
तेरे वास्ते माँ ने सभी
खुशियों को था वारा
आज उसी माँ से कैसा
रिश्ता अजीब हो गया-
कैसा शिवम् है आज ये
दस्तूर समय का
भुला करके माँ को
आज तू गरीब हो गया!
परिचय: शिवानंद चौबे की जन्मतिथि-१२ अगस्त १९९० है। आपका वर्तमान निवास राज्य उत्तर प्रदेश में ग्राम महथुआ (जिला-भदोही)है। समाजशास्त्र में एम.ए. के बाद अभी एमबीए(त्रिपुरा) जारी है। कार्यक्षेत्र-शिक्षण ही है। उपलब्धि यह है कि,नेहरू युवा केन्द्र में राज्य प्रशिक्षक( भारत सरकार) हैं। राष्ट्रीय भाषण प्रतियोगिता में जिला स्तरीय विजेता रहे हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-सबकेबीच सदाचार और प्रेम बनाए रखना तथा समाज हित की बात सामने लाना है।