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किसी असहाय का दुख दर्द बढ़कर कौन समझेगा,
मुसीबत क्या है यह अपने से बेहतर कौन समझेगा।
भरे बाजार में बिकने को जो मजबूर हो जाते-
विवशता बेबसों की मेरे ईश्वर कौन समझेगा।
#डॉ. कृष्ण कुमार तिवारी ‘नीरव’
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