मातृ-भूमि की गोद में,है स्वर्गिक आनन्द।
जियें-मरें इसके लियें, रच लें सुन्दर छन्द।।1।।
इसके पूजन हेतु हम,तन-मन-धन ले सर्व।
हम पैदा इस पर हुए, हमको इसका गर्व।।2।।
अपनी भाषा में करें,हम इसका गुण-गान।
इसका बढ़ जायगा, अपना भी सम्मान।।3।।
अमृत सा जल पी रहे, चन्दन सी है धूल।
इसके अर्चन में चढ़े, भाषा-सुन्दर फूल।।4।।
मातृ-भूमि, भाषा भली, सुन्दर इसके ठाट।
खोल रखें मन के सदा,खिड़की सहित कपाट।।5।।
नाम–मदनमोहन पाण्डेय
वर्तमान पता-कुशीनगर
राज्य-उत्तर प्रदेश
शहर–पडरौना
शिक्षा-परास्नातगक(हिन्दी,संस्कृत)
कार्यक्षेत्र–शिक्षा(प्रवक्ता-ने.इ.का.मंसाछापर,कुशीनगर,उ.प् र.)
विधा–काव्य
प्रकाशन–तीन साझा काव्यसंग्रह(द पोयट्री सोसायटी आफ इण्डिया,गुणगाँव,हरियाणा)
दो साझा काव्यसंग्रह(श्री सत्यम प्रकाशन झुँझुनू राजस्थान)
सम्मान-हिन्दी सेवी सम्मान,काव्य गौरव सम्मान,काव्य सागर सम्मान,दैनिक श्रेष्ठ रचना कार सम्मान,सरस्वती सम्मान,उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान,उत्कृष्ट समाज सेवी सम्मान
अन्य–विभिन्न मञ्चों से काव्यपाठ
लेखन उद्देश्य–हिन्दी साहित्य की सेवा
एक रचना–उपरि लिखित