अटल अटल थे अभी अटल है । कल तक जो इस पृथ्वी पर थे । वही अटल आज व्रह्मविलीन हो गये । धरा पर जिसका नाम अटल था । आकाश में जाकर अटल हो गया है । तारो के संग हिल मिल गया है । आज सभी के दिलो में […]

तेरे प्रेम की गर गली जो न होती दिले चोट हम कैसे खाकर के जीते — न होता तेरा गर ये इश्के समन्दर तो प्यासों को कैसे बुझाकर के जीते — न होता तेरे प्रेम का ये तराना तरन्नुम को हम कैसे गाकर के जीते– अफ़साना होता जो गर उल्फतों […]

तुम  मेरे  ही अंश    हो   प्यारे!, और     मेरा       मूल      वंश । फिर हमको क्यों  देते  तुम हो , उपेक्षा  ,    उलाहना       दंश ? उपेक्षा    ,    उलाहना     दंश ? कंश जैसा व्यवहार  करते हो? जो तुम्हें  जना  पाला   पोसा , एकांत जेल में उसे रखते  हो ? कहै ‘भवन’ यह कर्म […]

जिसने ठुकराया माँ को वो बदनसीब हो गया कदमो को चूमा जिसने वो जन्नत के करीब हो गय| माँ माँ है सब कुछ जो वार दे अपनी संतान पे जिसकी भी माँ है समझो वो खुशनसीब हो गया- माँ है खुदा इबादत मन्दिर और मस्जिदे जिसने भी किया सर सजदा […]

तीन रंग का, तिरंगा प्यारा। लाल किले में लहराया है। भारत के हर बच्चे ने, घर-घर में तिरंगा फहराया है। तिरंगे की जय, जयकार करें। तिरंगा सबको, प्यारा है। घर-घर में, फहराए तिरंगा। संसद में, फहराए तिरंगा। पूरब हो या पश्चिम हो, उत्तर हो-दक्षिण हो, जगह-जगह फहराया है। हिमगिरी की […]

जिन्दगी का झरोखा, जीवन में प्रकाश की किरणें दिखाता है। कभी उजाला कभी, अंधेरा होता है। सुख-दुख भी, उजाले-अंधेरों की तरह आते-जाते हैं। जीवन के संग्राम, को पार लगाते हैं। इन्सान जीवन की, मोह-माया में भटकता रहता है। अपने-पराए में, हमेशा लगा रहता है। तेरा-मेरा के भेद का, भाव करता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।