भारत में भ्रष्टाचार

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 kirti jayaswal
रामलीला मैदान में अनशन हुआ,
नेताजी ने जोर-शोर से किया।
उनके समर्थनों की गणना नहीं                            
भ्रष्टाचार लेकर आंदोलन हुआ।
 
साथी बहुत थे; समर्थन बहुत,
समर्थनों की भीड़ में भ्रष्टाचारी अधिक।
भ्रष्टाचारी भीड़ भ्रष्टाचार के खिलाफ,
भारत में इतनी भ्रष्टाचार की भरमार।
 
भ्रष्टाचार बढ़ा; ईमान गिरा,
लालच बढ़ा; इंसान गिरा।
ईमान पर शस्त्र काली मुद्रा लिए ‘कर’,                 
मुद्रा पर मुद्रित ‘सत्यमेव जयते’।                            
केस् कराएँगे,अदालत में जाएँगे,                       
गीता,कुरान,बाइबिल की यूं ही कसम खाएंगे।
 
असत्य भी कहेंगे तो जोर-शोर से,
क्षण-क्षण प्राचीर कहे ‘सत्यमेव जयते’।            
(गणना-गिनती, शस्त्र-औजार,कर-हाथ, मुद्रित-छपा होना, प्राचीर-दीवार)
(जब नेताजी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया था तो न जाने कितने लोग उनके समर्थन में खड़े हो गए,पर समर्थन करने वालों में न जाने कितने लोग भ्रष्टाचारी होते हुए भ्रष्टाचार का विरोध कर रहे थें। भ्रष्टाचारी रुपए खाते हैं,उस रूपए पर ‘सत्यमेव जयते’ लिखा रहता है; क्या उन्हें वह नहीं दिखलाई पड़ता! न जाने कैसे अपना ईमान खोए समाज में ऊँची कुर्सी लगाए वो बैठे हुए हैं। इंसान तो अदालत में भी धर्म के ग्रन्थ में झूठी कसम खाता है। अदालत की दीवार जिसमें मोटे- मोटे अक्षरों में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा होता है,क्या उसे वो नहीं दिखलाई पड़ता!)
                       #कीर्ति जायसवाल

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