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तू सपने दिखाती थी
कहानी सुना-सुनाकर
कहाँ चली गई हो अब
मुझे इस तरह भुलाकर।
पर लगता है मुझे ऐसा
तुम सपनो में आती हो
ममता को बिखेर कर
प्रेम संगीत सुनाती हो।
तपी धूप की जिंदगी में
तुम छाँव कर जाती हो
नफरत की हर जगह में
प्रेम ठाँव कर जाती हो।
माँ तुम प्रेम पूंजी की
एक विशाल खान हो
ऐ! ईश्वर मेरी माँ का
हरपल मुझमे स्थान हो।
#परमार प्रकाश
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