मैं अपने चाँद से बहुत प्यार करता था और उस के आने के इंतजार में घर के चौबारे से उस का इंतजार करता था आज मैंने अपने चाँद को देखा जो बदलो छिपता ओर निकलता था, मैं उस चाँद के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहता था, परंतु वो चाँद मुझ से रूठ न जाये इस अहसास ने उस चाँद से अपने प्यार का इजहार करने से रोक दिया, मेरा दिल उस चाँद के लिए धड़कता था, मुझ नादान को क्या पता उस चाँद का भी दिल मेरे लिए धड़कता है, चाँद का ऐसे बादलो में छिप छिप के निकलना औऱ फिर बदलो में छिप जाना मैं इस हरकत को बादलो की गुस्ताखी समझ रहा था लेकिन ये मेरा चाँद ही था जो बदलो में छुप जाता था, मैं पूरी रात अपने चाँद को देखता रहा वो मुझे देखता रहा कब इस चाँद के जाने का समय हो गया पता ही नही चला मैंने इस रात चाँद के साथ पूरी जिंदगी बिताने का संकल्प ले चुका था, और उसे अपने प्यार का इजहार कर दिया ये सुन चाँद अपने चांदनी को मेरे ऊपर ऐसे बरसाने लगा उसने अपनी चांदनी से अपने प्यार का इजहार कर दिया, इस तरह हम दोनों ने एक साथ आगे के जीवन को साथ बिताने संकल्प कर लिया एक दूसरे का साथ देने का वादा किया, चाँद अपने प्रकाश को कम करता हुआ मानो अगले दिन मिलने का वादा कर रहा हो और उस का इस तरह जाना उन के साथ बिताए ये लम्हे मुझे उदास होने न दिया और उन की यादे इस मनोहर प्रकृति को ओर भी सुंदर बना दी है अपने होने का अहसाह मेरे दिल मे देकर जीवन को साथ में बिताने का एक अटूट रिश्ता बना के मेरे आँखों से ओझल हो गयी।।
#राहुल चौधरी
परिचय: राहुल चौधरी जी की जन्मतिथि 19 जनवरी 1995 और जन्मस्थली रामनगर-वाराणसी है। पिताश्री राजेश कुमार एवं माताश्री सुमन देवी के लाडले सुपुत्र श्री चौधरी साहब कोमल हृदय एवं धनी व्यक्तित्व के रूप में जाने जाते हैं। रामनगर से ही इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से स्नातक किया। इसके अलावा एनसीसी,एन०एस०एस० और स्काउट गाइड की भी शिक्षा प्राप्त की। लेखन कार्य,बैटमिंटल और कैरम के शौकीन श्री चौधरी जी की विधाएं कविता एवं लघुकथाएं हैं। वर्तमान समय में आपका कार्यक्षेत्र अध्यापन, लेखन के साथ-साथ डीएलएड (बीटीसी) के क्षेत्र में कार्यरत हैं।