दीप की प्रकाश वो
अखण्ड की सौभाग्य वो
जीवन की आधार वो
प्रज्जवलित है जिससे सारा जहाँ
उसकी प्रकाश से
मिट रहा अंधकार है
नारी से ही तो संसार है ।
जन्म की आधार वो
मातृत्व और संस्कार वो
शालीनता की धार वो
लोक लज्जा और विचार है।
आन बान शान से
आधी आबादी का आधार वो
कुशलता सफलता में भी
चहुँ ओर जय जय कार है ।
रण में चंडी वो
कर्म से जीवन धार है
नारी की सभी युगो मे
होता रहा सम्मान है।
विघ्न बाधाओ की
सारी विपदाओ की
डटकर हौसलो से
नित्य सामना करती वो
झांसी भी है वो
सती भी है वो
अंधकार में प्रकाश वो
मिट रहा अंधकार है
नारी से ही तो संसार है ।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति