भय के बादल छँट जाने दो,
प्रेम की अब बात हो।
अलविदा कहो आतंकी रात को,
एक नया प्रभात हो।
गोली चली,खून बहा..
ज़मीं भी लाल हो गई।
हर चप्पा खामोश हुआ,
हर गली वीरान हुई।
फिर से गूँजे पूजा के सुर,
प्रेम की अज़ान हो।
अलविदा कहो आतंकी रात को,
एक नया प्रभात हो।
#वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,इसलिए लेखन में हुनरमंद हैं। साथ ही एमएससी और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए किया हुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।