जब मृत्यु ही एक कटु सत्य है, फिर जीने की क्यूँ करते अभिलाषा। आज देखा ख्वाबों पे मंडराते, क्या होती है इसकी परिभाषा। जब-तक चलती है साँस मेरी, चल कर कुछ जीवन से आशा, उठो कर्तव्य कुछ कर दो सुसज्जित, अंत बाद तेरा भी लगे कोई है प्यासा। चलते-चलते विराम-चिन्ह […]