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तुम हमारे अधिकार से जीते हो,
और हम तुम्हारे कर्तव्य बोध पर
अधिकार तो हर पाँच वर्ष बाद आता है,
पर कर्तव्य बोध का परिणाम
पाँच वर्ष पर्यंत झेलना होता हैl
अधिकार और कर्तव्य होते तो हैं
परस्पर आश्रित,
लेकिन इनका परस्पर संघर्ष भी विकट,
होता है।
न्याय और सुरक्षा व्यवस्था न होती,
तो सड़कों पर इनका हाल देखते बनता।
कुछ तुलना करते फ्रांस की क्रांति से,
और कुछ करते हिटलरशाही से।
वस्तुतः,न तो यह फ्रांस की क्रांति के सम है,
और न हिटलरशाही के,
पर कर्तव्य बोध तो चलता है
अपनी-अपनी समझ पर।
तब जनता ही बीनती है,इसमें से
सकारात्मकता अथवा नकारात्मकता।
और आगे भी निर्भर करता है
व्यक्तिगत समझ पर,
तुम हमारे अधिकार से जीते हो
और हम तुम्हारे कर्तव्य बोध पर।
#रामचंद्र धर्मदासानी
परिचय : रामचंद्र धर्मदासानी का वर्तमान निवास मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध धार्मिक नगरी उज्जैन में है। आपकी जन्मतिथि- २६ मई १९४२ तथा जन्म स्थान-सख्खर (सिंध-वर्तमान पाक में) है। उज्जैन में बसे हुए श्री धर्मदासानी की शिक्षा-एम.ए. ,एम.काम.,एल.एल.बी और एम.एड. है। साथ ही प्राकृतिक चिकित्सा में भी डिप्लोमा किया हुआ है। आप सेवानिवृत्त प्राचार्य(केन्द्रीय विद्यालय) होकर सामाजिक क्षेत्र में प्राकृतिक चिकित्सा, समाजसेवा व लेखन में सेवारत हैं। आपके लेखन की विधा-लघुकथा, संस्मरण एवं धार्मिक वृत्तांतों का लेखन है। १९६७ में पत्रिकाओं में लेख और कुछ कहानियाँ भी प्रकाशित हुई हैं। आप मानव जीवन का अध्ययन,क्रिया योग, विपश्यना से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य समाज के उपेक्षित क्षेत्रों को अनावृत्त कर उपयोगी उदाहरणों द्वारा समाज में जागृति लाना है।
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