तबियत मेरी

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sangita shreevastav
कभी वो भी हाल जान लें,
पूछ लें तबियत मेरी।
सुकून दिल को मिल जाए,
संभल जाए कुछ तबियत मेरी॥
हमदम होकर भी हमकदम न हुए,
पद-निशा बता रहे हैं तबियत मेरी।
उसे दूर कर दिया था खुद से,
आज क्यों पूछते हो तबियत मेरी॥
रहकर दूर कोई कैसे जान पाएगा,
पास आओ तो जान पाओगे तबियत मेरी।
ओरों से क्यों पूछते हो हाल मेरा,
गैर क्या बता पाएंगे तबियत मेरी॥
राफता-राफता सदमें से बाहर आ जाएगें,
यूं ही संभल जाएगी तबियत मेरी॥

#डॅा.संगीता श्रीवास्तव

परिचय : डॅा.संगीता श्रीवास्तव का निवास वाराणसी में है। इनकी जन्मतिथि-२९ मार्च १९६५ और जन्मस्थान-वाराणसी (उत्तर प्रदेश)है। आपने पीएच-डी.(हिन्दी) की शिक्षा प्राप्त की है तथा कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। सामाजिक क्षेत्र में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में सहभागिता के साथ ही दूरदर्शन-आकाशवाणी के काव्य सम्मेलनों में भी सहभागिता के साथ ही साहित्य संगोष्ठी का आयोजन भी करती हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपके लेख प्रकाशित हुए हैं। आपकी लेखन विधा-कविता तथा सामयिक लेख हैं। उपलब्धियाँ यह है कि,महापंडित राहुल सांकृत्यायन शोध एवं अध्ययन केन्द्र (वाराणसी) की आप निदेशिका हैं। इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक संस्थाओं में भी सदस्य के तौर पर सक्रिय हैं। प्रकाशन में-राहुल सांकृत्यायन के कथा साहित्य में ऐतिहासिक दृष्टि,सृजन यात्रा-राहुल सांकृत्यायन सहित कुछ काव्य संग्रह प्रकाशनाधीन हैं। सम्मान में आपको सुमित्रा कुमारी सिन्हा स्मृति सम्मान,मुंशी प्रेमचंद साहित्य सम्मान, विश्व हिंदी सेवी सम्मान(पेरिस में),काशी कवियित्री सम्मान,शिक्षक सम्मान, साहित्यकार-व्यंग्यकार भइया जी बनारसी सम्मान सहित शायरे आज़म सम्मान भी मिल चुका है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी राष्ट्रभाषा का उन्नयन व विकास के साथ ही आत्मिक संतुष्टि भी है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।