सिर्फ बल तो मत दिखाया तुम करो।
हौंसले भी आजमाया तुम…..करो॥
दर्द दुनिया में भरा है…..आजकल।
प्यार सबको कुछ सिखाया तुम करो॥
लाजमी है बरगलाना…..आपको।
दूर दुश्मन से भी’ जाया…..तुम करो॥
ख्बाव देखो पर खुली…..आँखें रखो।
सच हों’ वो सपने सजाया तुम करो॥
बदमिजाजी में नहीं कुछ भी रखा।
अब तो’ अपनापन जताया तुम करो॥
अब मुहब्बत की नहीं…..बातें करो।
पाठ पूजा भी कराया…..तुम करो॥
#सुनीता उपाध्याय `असीम`परिचय : सुनीता उपाध्याय का साहित्यिक उपनाम-‘असीम’ है। आपकी जन्मतिथि- ७ जुलाई १९६८ तथा जन्म स्थान-आगरा है। वर्तमान में सिकन्दरा(आगरा-उत्तर प्रदेश) में निवास है। शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत)है। लेखन में विधा-गजल, मुक्तक,कविता,दोहे है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय सुनीता उपाध्याय ‘असीम’ की उपलब्धि-हिन्दी भाषा में विशेषज्ञता है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिन्दी का प्रसार करना है।