वो ये नहीं जानता

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sushama malik
उछालता है हर रोज कीचड़ मुझ पर,
पर वो ये नहीं जानता कि
कीचड़ में ही अक्सर उगा करते हैं कमल।
शब्दों के बाण चलाता है मुझ पर,
पर वो ये नहीं जानता कि
गुस्से पर डाल दिया है मैंने शीतल जल।
भरम में है वो कि राह अकेली हूं मैं,
पर वो ये नहीं जानता कि
लहलहाई है मेरे पीछे परिवार की फसल।
कोशिश करता है वो मुझे तोड़ने की,
पर वो ये नहीं जानता कि
इरादे है मेरे हिमालय की तरह अटल।
कमजोर समझता है वो मुझे बहुत,
पर वो ये नहीं जानता कि
पार करना जानती हूं मैं दरिया-ए-अनल।
वहम है उसे कि बहक जाती हूँ मैं,
पर वो ये नहीं जानता कि
खुद के निर्णय पर करती ‘मलिक’ अमल।
कीचड़ में ही अक्सर उगा करते हैं कमल॥
             #सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१
तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास
रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित 
सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। 
सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। 
विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है। 

matruadmin

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3 thoughts on “वो ये नहीं जानता

  1. “वो ये नहीं जानता। ” बहुत ही विद ध का स्वर है आपकी कविता में और आप उतनी ही तटस्थ भी है। हर स्त्री को इस कविता से प्रेरणा लेनी चाहिए। बवाई आपको

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