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जवानों के फ़र्ज़े दरख्त के पत्ते खूब हिलते हैं।
ये फौज है यहाँ आदेशों के तूफान रोज चलते हैं॥
सही है कि आदेशों के अनुपालन में कोई स्वार्थ नहीं होता।
और सक्षम अधिकारियों का कोई भी आदेश व्यर्थ नहीं होता॥
दिशा एक है,कदम एकसाथ निकलते हैं।
ये फौज है,यहाँ आदेशों के तूफान रोज चलते हैं॥
हथियार हाथ में मगर दीवारे-मानवाधिकार नहीं तोड़ी जाती।
सुबह-शाम राष्ट्रगान गाने की नियमितता नहीं छोड़ी जाती॥
ठिकाने बदल जाए,मगर इरादे नहीं बदलते हैं।
ये फौज है,यहाँ आदेशों के तूफान रोज चलते हैं॥
#कुलदीप खदाना
परिचय : कुलदीप खदाना पेशे से फौजी हैं। इनके पिता-बांके सिंह भी फौजी(अब स्व.)रहे हैं। इनकी जन्म तारीख-२-फरवरी-१९८७ और जन्म स्थान-बुलन्दशहर है। वर्तमान पता-पोस्ट-खदाना,जिला-बुलन्दशहर(उत्तर प्रदेश) है।बी.ए. तक शिक्षित श्री खदाना का कार्यक्षेत्र-पैरा मिलिट्री (एसएसबी)है। आपके लेखन का उद्देश्य-शौक ही है।
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