नैनों ने इकरार लिखा

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rakhi sinh
तस्वीर तेरी जब देखी,मैंने ये श्रंगार लिखा,
अधरों ने तो कुछ न बोला,नैनों ने इकरार लिखा।
बहती सर्द हवा के हाथों,मैंनें भी पैगाम दिए,
तेरी यादों के सपनों को,जाने कितने नाम दिए।
उर उपवन में खिलती कलियाँ,प्रेम-प्रेम महकाती है,
सांसों की धीमी सरगम भी,नाम तुम्हारा गाती है।
अंगड़ाई जब लेती लहरें,सागर ने तब ज्वार लिखा,
अधरों ने तो कुछ न बोला,नैनों ने इकरार लिखा।
तू चंचल लहरों-सा मन में,रोज उफानें भरता है,
खुद को तुझमें खोने से फिर,क्यों दिल इतना डरता है।
मिले प्रेम जब-जब प्रियतम का,मन ये पावन गंगा हो,
जैसे दीपक लौ पर जलकर,इक कुर्बान पतंगा हो।
मैंनें अपने स्वप्नों का बस,तुमको ही हकदार लिखा,
अधरों ने तो कुछ न बोला,नैनों ने इकरार लिखा।
मेरे जीवन मरु में आकर,तुमने ही मधुमास किया,
रीती-सी दुनिया में मेरी,प्रतिपल तुमने खास किया।
मैं प्रेम में प्रिय तुम्हारे बस,आज राधिका हो जाँऊ,
विष में सूरत तेरी देखे,वही साधिका हो जाँऊ।
भूल गई जग सारा मैं बस,तुमको ही संसार लिखा,
अधरों ने तो कुछ न बोला,नैनों ने इकरार लिखा॥

#राखी सिंह ‘शब्दिता'

परिचय : राखी सिंह का कलम नाम `शब्दिता` हैl आप फिलहाल बीएससी में अध्ययनरत हैंl आपका बसेरा गाँव नगला भवानी(खन्दौली) आगरा में हैl राखी सिंह की जन्म तिथि-१० अगस्त १९९९ हैl लेखन कार्य आपका शौक हैl

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