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तिमिराँचल से रवि किरण
धीमे-धीमे सप्त स्वर के,
आरोह-अवरोह संग
व्योम-मंच पर गतिशील
हो नृतन करने।
पीतांबरी,गुलाबी,पीला गुलाल सारे गगनाँचल,
में फैल आकाश का मुख
रंग गया।
पंछियों ने स्वर घुंघरु
छनका दिए,
दसों दिशाएँ गुलाबी आभा-सी
दमकने लगी।
जागृति देख पिय आकाश
की प्रिया धरती भी,
अलसाई-सी अंगड़ाई ले
धीरे-धीरे शीतल कोहरे की
रजाई त्याग जाग गई।
#डॉ. नीलम
परिचय: राजस्थान राज्य के उदयपुर में डॉ. नीलम रहती हैं। ७ दिसम्बर १९५८ आपकी जन्म तारीख तथा जन्म स्थान उदयपुर (राजस्थान)ही है। हिन्दी में आपने पी-एच.डी. करके अजमेर शिक्षा विभाग को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक रुप से भा.वि.परिषद में सक्रिय और अध्यक्ष पद का दायित्व भार निभा रही हैं। आपकी विधा-अतुकांत कविता, अकविता, आशुकाव्य आदि है।
आपके अनुसार जब मन के भाव अक्षरों के मोती बन जाते हैं,तब शब्द-शब्द बना धड़कनों की डोर में पिरोना ही लिखने का उद्देश्य है।
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Tue Jan 9 , 2018
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