बहुत दिलकश नजा़रे थे, जब हम शौक के मारे थे। नहीं फिक्र समय की थी, के पहिए हाथ हमारे थे। समय कब-कहाँ-कैसे गुजरे, वक्त के साए तो संग हमारे थे। थे अल्हड़ नटखट बेपरवाह, के मौसम के सारे नज़ारे हमारे थे। भाग रही थी दुनिया आगे, हम तो बस अपने […]

सैंकड़ों कुर्बानिंयों का तोहफा देशभक्ति है, इसमें बहता रक्त किसी जाति मज़हब का नहीं, जज्बा-ए-जुनून का है। नहीं थी किसी में लड़ाई हिंदू-मुस्लिम की, भूखा भगत था तो रोटी बिस्मिल के गले भी नहीं उतरी थी। वंदे मातरम् इंकलाब का नारा सबने एक स्वर में लगाया था, सरफरोशी की हर […]

सपनों की गठरी बांध, तारों की चुनर समेट रजनी ने चार याम का, सफर तय कर लिया। भोर के द्वार दस्तक दी, आहट सुन द्वार पर प्राची की खिड़की से, यामिनी की धुंधली परछाई देख। हल्का-सा उजाला उसके, आँचल में बाँध दिन के चार याम के, सफर की तैयारी कर […]

दिल-ए-बेताब मज़बूर क्यों है, होकर भी मेरे साथ दूर क्यों है। नहीं है रार कोई दरमियां जब, बता दिल इतना तू रंजूर क्यों है। फासले तो थे चंद दिनों के अपने बीच, दरिया के किनारों-सी दूरियां क्यों है॥ कुछ लोग मिरे साथ क्या हो लिए, तुमने तो जिंदगी भर के […]

तिमिराँचल से रवि किरण धीमे-धीमे सप्त स्वर के, आरोह-अवरोह संग व्योम-मंच पर गतिशील हो नृतन करने। पीतांबरी,गुलाबी,पीला गुलाल सारे गगनाँचल, में फैल आकाश का मुख रंग गया। पंछियों ने स्वर घुंघरु छनका दिए, दसों दिशाएँ गुलाबी आभा-सी दमकने लगी। जागृति देख पिय आकाश की प्रिया धरती भी, अलसाई-सी अंगड़ाई ले […]

सतरहवें साल की रजनी इक उम्र के पड़ाव पर, रातभर ठिठकी खड़ी रही जवानी और बचपन की, दहलीज पर अड़ी रही। सोचकर बस इक दिवस शेष शर्म से जड़ी रही, सिहरती लरजती अपने ही स्वेद में (ओस)जकड़ी रही। भोर की गतिविधियों से बेखबर निरंतर पिघलती रही, दिवस का स्वागत भी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।