नये साल के जश्न में डूबी रात मुबारक हो
वही मुल्क और वही हालात मुबारक हो ।
वही सुबह, वही शाम, वही नाम ,वही काम
वही उम्मीदों की झूठी सौगात मुबारक हो ।
वही मिलना, बिछड़ना,रूठना और मनाना
ज़िंदगी से फिर वही मुलाकात मुबारक हो ।
तकनीकी तरक़्क़ी और खोखली रंगरलिया
दम तोड़ती तहजीब की वफ़ात मुबारक हो ।
बेलगाम नयी पीढ़ी, लिए खुदगर्ज़ी की सीढ़ी
रिश्तों ,रिवाजों से दिलाते नीज़ात मुबारक हो ।
लूट,मार, व्यभिचार, भ्रष्टाचार और ब्लात्कार
अन्धा कानून और बेजा हवालात मुबारक हो ।
आत्महत्या करते किसान,बेरोजगार नौजवान
आतंकित समसामयिक सवालात मुबारक हो ।
शोर शराबा ,अश्लील पहनावा और नंगा नाच
गालियों से भरे बेसुरे भद्दे नगमात मुबारक हो ।
मुद्दों से भटके चैनलों पे चर्चे,बेशर्म नुमाइंदों के
करते टीवी पे बद ज़ुवानी फंसादात मुबारक हो
हर बार की तरह ,हर साल की तरह हम सब को
अजय,उम्मीद पे कायम ये कायनात मुबारक हो ।
-अजय प्रसाद